केले के बारे में आपका क्या खयाल है? सेब को अमीरों का फल माना जाता है, तो केला गरीबों का फल है। उस बेचारे पर तो कोई कहावत तक नहीं बनी सेब की तरह। लेकिन अगली बार जब केला खाएं तो उसका छिलका फेंकिएगा मत। क्योंकि एक नई रिचर्स ने यह खुशखबरी दी है कि केले का छिलका एक बेहतरीन वाटर प्यूरीफायर है। केले के छिलके में विषाक्त धातुओं को पानी से अलग करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह खबर इसलिए खास है क्योंकि हमें अच्छी तरह पता है कि दुनिया की अधिकांश बीमारियों की जड़ में दूषित जल का इस्तेमाल होता है।
ब्राजील के इंस्टीटच्यूटो डी बायोसाइंसियास डी बोटुकाटु के शोधकर्ताओं गुस्तावो कास्ट्रो और उनके साथियों ने पाया कि केले के छिलकों को अगर छोटे टुकड़ों में कतर दिया जाए तो उनसे पानी को छानने का काम लिया जा सकता है। गुस्तावो के मुताबिक औद्योगीकरण में आई तेजी के चलते जल स्त्रोतों में कई तरह की भारी धातुएं (जैसे लीड और कॉपर आदि) मिल जाती हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदेह होती हैं। अभी इन्हें पानी से अलग करने के लिए जो तकनीक इस्तेमाल की जा रही है, वह बहुत महंगी है।
इस तकनीक से बने वाटर प्यूरीफायर की खास बात यह है कि यह एक बार इस्तेमाल में खराब नहीं होता। एक बार केले के छिलके भर देने के बाद इस प्यूरीफायर को कम से कम 11 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। उसके बाद ही छिलके को बदलना होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि केले के छिलके से बना यह वाटर प्यूरीफायर अपनी सस्ती कीमत के कारण लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। दूसरी बात यह कि इसके लिए केले के छिलके में किसी तरह का रासायनीकरण नहीं करना होता बल्कि उसे सीधे प्यूरीफायर में इस्तेमाल किया जा सकता है।
छिलके के गुण: पिछले साल इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में भी पाया गया कि केले के छिलके में ऐसे गुण होते हैंजो उम्र को आसानी से बढ़ने नहीं देते। वैज्ञानिक अब इन एंटी-ऑक्सीडेंट्स को पाउडर और टैबलेट की शक्ल देने की तैयारी कर रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि केले के छिलके में एंटी ऑक्सीडेंट्स के साथ ही एंटी बैक्टीरियल गुण भी हैं। यह किडनी की पथरी को गलाने में भी सक्षम है और अन्य बीमारियों से लड़ने में भी असरदार है।
ब्राजील के इंस्टीटच्यूटो डी बायोसाइंसियास डी बोटुकाटु के शोधकर्ताओं गुस्तावो कास्ट्रो और उनके साथियों ने पाया कि केले के छिलकों को अगर छोटे टुकड़ों में कतर दिया जाए तो उनसे पानी को छानने का काम लिया जा सकता है। गुस्तावो के मुताबिक औद्योगीकरण में आई तेजी के चलते जल स्त्रोतों में कई तरह की भारी धातुएं (जैसे लीड और कॉपर आदि) मिल जाती हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदेह होती हैं। अभी इन्हें पानी से अलग करने के लिए जो तकनीक इस्तेमाल की जा रही है, वह बहुत महंगी है।
इस तकनीक से बने वाटर प्यूरीफायर की खास बात यह है कि यह एक बार इस्तेमाल में खराब नहीं होता। एक बार केले के छिलके भर देने के बाद इस प्यूरीफायर को कम से कम 11 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। उसके बाद ही छिलके को बदलना होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि केले के छिलके से बना यह वाटर प्यूरीफायर अपनी सस्ती कीमत के कारण लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। दूसरी बात यह कि इसके लिए केले के छिलके में किसी तरह का रासायनीकरण नहीं करना होता बल्कि उसे सीधे प्यूरीफायर में इस्तेमाल किया जा सकता है।
छिलके के गुण: पिछले साल इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में भी पाया गया कि केले के छिलके में ऐसे गुण होते हैंजो उम्र को आसानी से बढ़ने नहीं देते। वैज्ञानिक अब इन एंटी-ऑक्सीडेंट्स को पाउडर और टैबलेट की शक्ल देने की तैयारी कर रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि केले के छिलके में एंटी ऑक्सीडेंट्स के साथ ही एंटी बैक्टीरियल गुण भी हैं। यह किडनी की पथरी को गलाने में भी सक्षम है और अन्य बीमारियों से लड़ने में भी असरदार है।
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